होंठों पर कातिल मुश्कान
मूंछों पर बिना बालों की शान
सभी परिचित हो चुके हैं
इन नए डाकुओं से
मैंने बस खोली थी खिड़की
घर की, दिमाग की
और मेरे सामने थी
एक भयावह तश्वीर
असुरक्षित भविष्य की
दो मोटर-साइकल सवार
चले आ रहे थे
और ये दोनों खाकी वर्दी
डकैती से पहले
मुस्कुरा रहे थे
फिर क्या हुआ होगा
बहुतों को मालूम है
अब क्या हो रहा है
मै बताता हूँ
डकैती का माल
वे आपस में बाँट रहे हैं
और सामने खड़े भविष्य को
लाठी से डांट रहे हैं
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