तीरों की संख्या

मंगलवार, जनवरी 04, 2011

गिद्धों की दुनिया

क्या मै झूंठा हूँ माँ

जब मै कहता हूँ की

आज मालिक ने

हम सबको खाना खिलाया

भले ही मैने पिछले तीन दिनों से

कुछ भी नहीं खाया

ठेकेदार बाबु ने

पूरे रुपये दे दिए हैं

भले ही मैंने अभी तक

एक पैसा भी नहीं पाया

क्या मै झूंठा हूँ माँ

जब मै कहता हूँ की

मै तुम्हारी आँखों का मोतिया

ठीक करा दूंगा

तुम्हारी आँखों में नयी

रोशनी ला दूंगा

भले ही मैंने , गिद्धों की दुनिया में

बस अन्धेरा ही पाया

बोलो ना माँ ,क्या मै झूंठा हूँ

तुम बोलोगी ही क्या माँ

तुम तो हमेशा ही आँख मूंदकर

मुझपर विश्वास कर लेती हो

माँ मुझे लगता है

कहीं कोई भगवान नहीं है

सभी बस गिद्ध हैं

ये मौक़ा पाते ही नोच लेते हैं

किसी की , छोटी सी

उम्मीदों से भरी दुनिया

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