धनुर्धर
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शुक्रवार, जनवरी 01, 2010
नव वर्ष की शुभकामनायें
उम्मीदें जागीं , प्रभात जागा
जो जगाता चिंतन को
ह्रदय में हर वह बात जागा
चलो जगाएं बाकी को अब
चलो जगाएं साकी को अब
चलो उठायें दुःख के प्याले
आओ पी जाएँ गड़बड़-झाले
नयी उम्मीदों से सजी बात है
नव वर्ष का नव प्रभात है
1 टिप्पणी:
अनुपमा पाठक
6 जनवरी 2011 को 2:57 am बजे
शुभकामनाएं!
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