तुम मुहावरे गढ़ते रहे
और उन्होंने लाशें बिछा दीं
फिर अहसास हुआ जब
तब तुम चीखे चिल्लाए
उनके कानों में लगा
किसी मच्छर का भिनभिनाना
थोड़ी सी तकलीफ दी तुमने
वे जानते थे, और तैयार भी थे
आज भी वे तैयार रहते हैं
और तुम
बस संसद भवन के चूहे रह गए
और दूसरों की बोरियां काट रहे हो
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